वर्ष 2020 में बीजेपी के दबाव के कारण मुख्‍यमंत्री बनना पड़ा : नीतीश कुमार

 वर्ष 2020 में बीजेपी के दबाव के कारण मुख्‍यमंत्री बनना पड़ा : नीतीश कुमार

नीतीश ने विधानसभा चुनाव में अपनी पार्टी के खराब प्रदर्शन के लिए अलग हुए सहयोगी चिराग पासवान को जिम्‍मेदार ठहराया जिन्‍हांने बीजेपी और पीएम नरेंद्र मोदी के प्रति निष्‍ठा की कसम खाते हुए जेडीयू प्रत्‍याशियों के खिलाफ उम्‍मीदवार खड़े किए.


पटना : 

बिहार के सीएम नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने कहा है कि 2020 के विधानसभा चुनाव के बाद वह बीजेपी के दबाव के कारण ही सीएम पद स्‍वीकार करने के लिए तैयार हुए थे. इन चुनावों में नीतीश की पार्टी जेडीयू को बीजेपी से कम सीटें हासिल हुई थीं. नीतीश ने बिहार विधानसभा चुनाव में विश्‍वास मत पर चर्चा के दौरान बीजेपी के विश्‍वासघात के आरोपों का जवाब देते हुए यह खुलासा किया. उन्‍होंने कहा, " हम 2020 में मुख्यमंत्री नही बन रहे थे क्‍योंकि बीजेपी के पास ज्‍यादा विधायक थे, लेकिन बीजेपी के दवाब में बनना पड़ा. मुझ पर सीएम बनने का दबाव था. उन्होंने कहा कि आप मुख्यमंत्री बनें, इसलिए आखिरकार मैं सहमत हो गया." नीतीश ने कहा, "मुझे बताया गया कि नंदकिशोर यादव का स्‍पीकर बनाया जाएगा तो मैंने कहा कि वह पुराने दोस्‍त हैं और यह अच्‍छा होगा लेकिन वह (नंदकिशोर ) नहीं थे. "

नीतीश की जेडीयू बिहार चुनाव में सीटों के मामले में तीसरे नंबर पर रही थी. जेडीयू-बीजेपी के गठजोड़ में बीजेपी इससे पहले जूनियर पार्टनर थी लेकिन वर्ष 2020 के चुनाव के बाद नीतीश सीएम के तौर पर लौटे लेकिन गठबंधन में उनका 'कद' जेडीयू की सीटों की कम संख्‍या के कारण कम हो गया था. नीतीश ने विधानसभा चुनाव में अपनी पार्टी के खराब प्रदर्शन के लिए अलग हुए सहयोगी चिराग पासवान को जिम्‍मेदार ठहराया जिन्‍हांने बीजेपी और पीएम नरेंद्र मोदी के प्रति निष्‍ठा की कसम खाते हुए जेडीयू प्रत्‍याशियों के खिलाफ उम्‍मीदवार खड़े किए. नीतीश को इस बात का अंदेशा था कि चिराग की इस रणनीति को, जिसके कारण उन्‍हें कई सीटें गंवानी पड़ी, बीजेपी का मौन समर्थन हासिल था. 

वर्ष 2020 में बीजेपी के दबाव के कारण मुख्‍यमंत्री बनना पड़ा : नीतीश कुमार

नीतीश ने कहा, 2020 में बीजेपी के दबाव में सीएम पद स्‍वीकार किया था

पटना : 

बिहार के सीएम नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने कहा है कि 2020 के विधानसभा चुनाव के बाद वह बीजेपी के दबाव के कारण ही सीएम पद स्‍वीकार करने के लिए तैयार हुए थे. इन चुनावों में नीतीश की पार्टी जेडीयू को बीजेपी से कम सीटें हासिल हुई थीं. नीतीश ने बिहार विधानसभा चुनाव में विश्‍वास मत पर चर्चा के दौरान बीजेपी के विश्‍वासघात के आरोपों का जवाब देते हुए यह खुलासा किया. उन्‍होंने कहा, " हम 2020 में मुख्यमंत्री नही बन रहे थे क्‍योंकि बीजेपी के पास ज्‍यादा विधायक थे, लेकिन बीजेपी के दवाब में बनना पड़ा. मुझ पर सीएम बनने का दबाव था. उन्होंने कहा कि आप मुख्यमंत्री बनें, इसलिए आखिरकार मैं सहमत हो गया." नीतीश ने कहा, "मुझे बताया गया कि नंदकिशोर यादव का स्‍पीकर बनाया जाएगा तो मैंने कहा कि वह पुराने दोस्‍त हैं और यह अच्‍छा होगा लेकिन वह (नंदकिशोर ) नहीं थे. "

नीतीश की जेडीयू बिहार चुनाव में सीटों के मामले में तीसरे नंबर पर रही थी. जेडीयू-बीजेपी के गठजोड़ में बीजेपी इससे पहले जूनियर पार्टनर थी लेकिन वर्ष 2020 के चुनाव के बाद नीतीश सीएम के तौर पर लौटे लेकिन गठबंधन में उनका 'कद' जेडीयू की सीटों की कम संख्‍या के कारण कम हो गया था. नीतीश ने विधानसभा चुनाव में अपनी पार्टी के खराब प्रदर्शन के लिए अलग हुए सहयोगी चिराग पासवान को जिम्‍मेदार ठहराया जिन्‍हांने बीजेपी और पीएम नरेंद्र मोदी के प्रति निष्‍ठा की कसम खाते हुए जेडीयू प्रत्‍याशियों के खिलाफ उम्‍मीदवार खड़े किए. नीतीश को इस बात का अंदेशा था कि चिराग की इस रणनीति को, जिसके कारण उन्‍हें कई सीटें गंवानी पड़ी, बीजेपी का मौन समर्थन हासिल था. 

उन्‍होंने कहा, "2020 में आपने मेरे खिलाफ किसे खड़ा किया? इस सबके बावजूद मैंने कोई शिकायत नहीं की और कहा था कि मैं सीएम नहीं बनना चाहता. मैंने कहा था कि आपने ज्‍यादा सीटें जीती हैं और सीएम आपकी पार्टी से होना चाहिए. मैंने सीएम पद दबाव के बाद स्‍वीकार किया लेकिन आप जानते हैं कि बाद में क्‍या हुआ. जिस शख्‍स को मैंने सबसे नीचे की पायदान से टॉप पर पहुंचाया, उसे केंद्र में भेजा, उसने मुझे धोखा दिया. " मुख्‍यमंत्री का इशारा साफ तौर पर आरसीपी सिंह की ओर था.  इस माह की शुरुआत में नीतीश कुमार ने बीजेपी के साथ अपने रिश्‍ते खत्‍म करते हुए आरजेडी और अन्‍य दलों के साथ महागठबंधन सरकार बनाई है. विधानसभा में दिए भाषण में नीतीश ने बीजेपी की ओर से उन पर सहयोगी बदलने और फिर आरजेडी से जुड़ने संबंधी आरोप का भी जवाब दिया. उन्‍होंने कहा, "मैं 2017 में उनसे (आरजेडी से) अलग हो गया था. आपने इतने सारे आरोप लगाए लेकिन पांच साल में उनके खिलाफ कछ नहीं मिला. "

केंद्र सरकार पर 'हमला' बोलते हुए मुख्‍यमंत्री ने कहा, "केंद्र ने पटना यूनिवर्सिटी की मांग को भी नहीं माना. वर्ष 2017 में केंद्र ने 600 करोड़ दे कर कहा कि मान लीजिए हर घर नल, केंद्र की योजना है लेकिन हमने नहीं माना. हर घर नल 2015 में शुरू हुआ उस वक्त आरजेडी ही सहयोगी थी. बिहार में सड़क निर्माण राज्य सरकार ने किया केंद्र सरकार ने नहीं.अटल जी बीमार हो गए तो आगे आडवाणी जी पावर मिलना चाहिए था, लेकिन ऐसा नही हुआ."

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